फीजी भजन (Shaneel’s edition)

प्रथम मैं सुमिरो गणपती
जय जय जय गुरु देव कि
जय जय जय श्री पाल ब्रम्हा
देवन भाव का भेद जी

पाता पिता के चरणों में
है रेह तीरथ धाम जी
बिन किरपा इन दोनों का
होइए न कल्याण जी

और होइए न कल्याण हो जोगिजन होइए न कल्याण

और गरब में राखे नौ दस मॉस लेकर यही आस
वही बेटा बाहर आके माँ को आँख दिखाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है
दो जनम का दाता है कि वह जनम का दाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है

काँधे पर लेकर बापू जी दुनिया का सैर कराता है
वही पुत्र बोली मारे, बुद्धा बडबडाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है
दो जनम का दाता है कि वह जनम का दाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है

आदेश आयो बाप का कि भगवन न टाले पाता है
जिन हाथो ने चलना सिखाया वही हाथ उठाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है
दो जनम का दाता है कि वह जनम का दाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है

पुत्र का पुत्र सुना है पर न माता होए कुमाता
करले सेव मात पिता के शनील सिंह समझाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है
दो जनम का दाता है कि वह जनम का दाता है
प्रथम गुरु है मात पिता दो जनम का दाता है

भक्ति भक्ति सब करे, भक्ति करे न कोई
करहे नहीं जो बोल ये
दूसर शिक्षा देई
और माता पिता को छोड़ के, धर्म प्रचार करई

और कहे कबीरा सुनो भैया साधू
कर ले सेवा मोई हो रामा
करले सेवा मोई
कलयुग तारण करना है तो
देर नहीं अभी होई।

Shaneel Singh

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